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Session : 18th November

Updated: Dec 19, 2020

नारायण नारायण . 18 नवंबर 2020 के दिव्य बुधवार सत्संग का सारांश।


सत्संग आपके लिए राजदीदी के दैविक सत्संग के खजाने से लाया गया है।


दीदीने कहा कि उन्होंनेइस विषय को चुनाहै (मतभेद को मनभेद नबनाइए)। हमारेआपसी संबंधों के बीच मतभेदको मतभेद न बनने दें।सुबह दीदी को एकमहिला का फोन आया, उसने शिकायत की कि वहउसके पति से तंगआ गयी है क्योंकिवह हमेशा उसके कहे केविपरीत करता है औरपति भी पीछे सेचिल्ला रहा था किवह भी कभी नहींसुनती है। उनकी पसंदअलग है।


दीदी ने सत्संगमें इस विषय परचर्चा करने का निर्णयलिया ताकि सभी कोइससे फायदा हो।

दीदी ने मिस्टर प्रसाद, एक मनोविज्ञान स्नातक की कहानी के माध्यम से अपना संदेश दिया। वह कहते हैं कि एक बार एक मॉल में खरीदारी करते समय उन्होंने दो महिलाओं की बातचीत सुनी, जिसमें से एक कह रही थी कि वह अपने पति से नफरत करती थी क्योंकि उनके स्वाद, पसंद और नापसंद बिलकुल उससे अलग हैं।


शाम को एक पार्क में बैठकर उन्होंने दो बच्चों की बातचीत सुनी, उनमें से एक कह रहा था कि वह एक विशेष लड़के से नफरत करता था और उसके साथ खेलना पसंद नहीं था क्योंकि दूसरा लड़का हमेशा क्रिकेट खेलने पर जोर देता था जबकि वह फुटबॉल खेलना पसंद करता था।


फिर वही मुद्दा, रिश्तों में मनभेद पैदा करने वाले मतभेद।


श्री प्रसाद कहते हैं कि किसी भी चीज़ या स्थिति के लिए दो लोगों की राय अलग हो सकती है।


दो सहकर्मियों, दो व्यावसायिक साझेदारों, दोस्तों, पति और पत्नी या किसी भी रिश्ते में एक चीज या स्थिति को लेकर उनके विचार, पसंद अलग अलग हो सकते हैं।


पर इन मतभेदों को अपने संबंधों के बीच में मत आने दीजिए।


मनोविज्ञान कहता है- व्यक्ति का निर्माण परिस्थितियां करती हैं, उसके आसपास के वातावरण का असर उस पर पड़ता है और उसे जो अनुभव अपने जीवन में मिलते हैं वे सारे मिलने के बाद उसके सोचने का एक ढांचा तैयार हो जाता है। इसलिए हर व्यक्ति का अपना तरीका है सोचने का।


प्रसाद ने आगे समझाया कि वह एक अलग माहौल में पला बड़ा। उसके अलग-अलग अनुभव थे, जिसने उसके विचारों और राय को प्रभावित किया, जबकि उसकी पत्नी अलग परिवेश में जन्मी और पली-बढ़ी है, इसलिए उसकी पसंद-नापसंद अलग है, उन्हें चावल दाल खाना बहुत पसंद है, जबकि उनकी पत्नी को चपाती सब्ज़ी बहुत पसंद है ...


मिस्टर प्रसाद आगे बताते हैं कि उनकी जुड़वां बेटियां हैं, जो एक ही समय में एक ही माता-पिता के यहाँ पैदा हुई हैं, एक ही वातावरण में पली बढ़ी है लेकिन दोनों की अलग-अलग पसंद और नापसंद है।


एक मसालेदार खाना पसंद करती है, दूसरी मिठाई पसंद करती है .. एक पढ़ाई में अच्छी है और दूसरी खेल में। यदि जुड़वा बच्चों में एक चीज या स्थिति के लिए मतभेद हो सकते हैं, तो दो लोगों के लिए एक ही चीज या स्थिति के लिए अलग-अलग राय होना स्वाभाविक है।


जब कभी दो बुद्धिमान लोग होंगे स्वाभाविक हैं उनके पास एक ही चीज़ के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण होंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे एक दूसरे के खिलाफ हैं।


जब एक व्यक्ति किसी चीज के बारे में राय देता है तो उसे व्यक्तिगत रूप से न लें। वह उस चीज के बारे में उसका अपना दृष्टिकोण है। वह आपके खिलाफ नहीं है। अगर हम व्यक्तिगत रूप से किसी की राय को लेते हैं तो रिश्तों में मतभेद पैदा हो जाते हैं।


हमारे मतभेद मनभेद में परिवर्तित न हों इसके लिए आपको थोड़ा समझदारी से काम लेना होगा। सबसे पहले, आप सामने वाले व्यक्ति के विचार को, राय को व्यक्तिगत रूप से न लें। वह केवल वस्तु के लिए उसकी राय है।

दूसरा, सामने वाली की राय का हमें आदर करना चाहिए। जब आप दूसरों की राय का आदर करते हैं, आपके संबंध मजबूत हो जाते हैं। आप अच्छी सेहत, धन, खुशहाली, शांति, समृद्धि और सांमजस्य को आकर्षित करते हैं।

प्रिय दोस्तों आप किसी व्यक्ति को अच्छे से तभी समझ सकते हैं, जब आप यह समझ जाएं कि किसी भी चीज या स्थिति के लिए उसकी अलग राय आपके खिलाफ नहीं है और आपको प्रचुरता को आकर्षित करने के लिए उसकी राय का आदर करना होगा।


दीदी का सभी के लिए आशीर्वाद के साथ सत्र का समापन हुआ।

नारायण धन्यवाद

राज दीदी धन्यवाद

सादर सप्रेम सहित सीमा गुप्ता🌹


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